गुलज़ार-सा मन....
मनाची वाटिका सुंदर विचारांनी भरलेली असली की ,शब्दांतून संस्कारांचा सुगंध दरवळतो....
त्याने मन गुलज़ार होतेच...
वो फ़र्श की धुल पे पड़े पैरों चंद के निशान 👣👣
(अगर "उनके" हो तो दिल सावन की पहली बारिश-सा महेंकता है|)
वो चाय के दो सुखे कप ☕☕
(देखते ही कॉलेज के सामने वाली होटेल में एक-दूसरे की नज़र में नज़र गड़ाए हुए लम्हों में , चाय की गरम प्याली से होठों का जलना याद आता है|)
वो ख़ामोश, दाल के सुखे बर्तन 🫕
याद दिलाते है उस बिरहा की जब वो कई साल हम से जुदा रहें....
वो सुखी पड़ी, चाय की पत्ती से भरी
बेजान छन्नी .... हमेशा उनकी झगडे के बाद की चुप्पी की याद दिलाती है |
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* ..... आज आप नहीं |
पर यादों से दिल तो * गुलजार है....!*😊
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